Didi Maa

इस कलियुग में भी “दधीचि वृत्ति” जीवित है। – वात्सल्य वाणी – Didi Maa Sadhvi Ritambhara

परिवार की बड़ी जिम्मेदारी होगी इसलिए मेरा बेड उसे दे दिया जाए।” अस्पताल प्रशासन यह देखकर दंग रह गया और वह बेड उस व्यक्ति को देकर बुजुर्ग नारायण जी को डिस्चार्ज कर दिया गया। अगले तीन दिनों में ही नारायण जी की घर पर मृत्यु हो गई।
मैं भारत की “#दधीचिपरम्परा” के संवाहक श्री नारायण भाऊराव डाभोड़कर के इस सर्वोच्च बलिदान के समक्ष कोटिशः नतमस्तक हूँ, जिन्होंने मानवता की रक्षा के लिए अपनी देह को बलिवेदी पर चढ़ा दिया। मैं यह जानकर भी रोमांचित हूँ कि वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक परम पूज्यनीय श्री गुरूजी के साथ संघकार्य भी कर चुके हैं। यही तो है सनातन का वह प्रवाह जो युगों से मानवता को तृप्त करता चला आ रहा है।

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