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नववर्ष विक्रम सम्वत 2078 की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाऍं…

नववर्ष विक्रम सम्वत 2078 की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाऍं। नववर्ष में आप सभी अपने जीवन की धन्यता को उपलब्ध करें . समाज व् राष्ट्र के लिए अपनी मंगलमय भूमिका निभाएं।  समस्त भारतवासियों और विश्व के अनेक भागों में रहने वाले भारतियों के प्रति इस मंगलमयी बेला पर मैं शुभेच्छाएं  प्रेषित कर रहीं हूँ।  कालगणना के अनुसार आज से अरबों करोङो वर्ष पूर्व चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन सूर्योदय काल से ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना प्रारम्भ की थी। 

लंका विजय के पश्चात आज ही के दिन प्रभु श्री राम का राज्याभिषेक हुआ था।  2077 वर्ष पूर्व सम्राठ विक्रमादित्य ने इसी दिन अपने न्यायप्रिय शासन की स्थापना की थी और  तभी से विक्रम संवत आरम्भ हुआ। 
शक्ति और भक्ति के आराधना पर्व “नवरात्र ” का आज प्रथम दिन है।  सम्राट विक्रमादित्य की भांति ही शालिवाहन ने भी हूणों को परास्त कर दक्षिण भारत में इसी दिन अपने  राज्य की स्थापना की थी। 
सिक्ख परम्परा के द्वितीय गुरु श्री अंगददेव जी का प्रगटोत्स्व, स्वामी दयानन्द सरस्वती जी ने इसी दिन आर्य समाज की स्थापना की थी।  संत झूलेलाल जी का जन्म भी आज ही के दिन हुआ था।  
धरती के जन्मदिवस पर चारों और आच्छदित हरियाली और टेसू के फूलों की सुंदरता ऐसी प्रतीत होती है मानों  हरियाली चुनरी ओढ़े माँ भारती ने अपनी मांग भर ली हो।  सबके हृदय में उमंग है।  हम सबके जीवन में हरियाली आए इसके लिए एक गंभीर चिंतन की आवश्यकता अनुभव हो रही है।  कदाचित वो चीज़ें जो हमारे जीवन को दूषित करती हैं या हमारी भूमिका को धूमिल करती हैं, ऐसी परंपरेण जो समाज के लिए एक अप्रासंगिक हो चुकी हैं, उनको अपने जीवन से ऐसे विदा करना चाहिए जैसे वृक्ष पुराने पत्तों को झाड़ देता है।  बहुत कुछ समाज में जो शायद हमारी जड़ता है, मूढ़ता है, अज्ञानता है, जिसने हमारे पारिवारिक, सामाजिक और राष्ट्रीय जीवन को दिग्भ्रमित किया है।  आज नववर्ष की इस पुण्य बेला में हम सब मिलकर यह निश्चित करें की ऐसा जो कुछ भी हमारे जीवन में होगा हम उसे धीरे  से विदा करेंगे।  
हमारी संताने राम-कृष्ण की उस पवित्र परंपरा से संस्कारित हों, हम सब निश्चय करें कि कैसे हमारी संतानें आने वाले युग की प्रवर्तक बनें। आज वर्ष प्रतिपदा के दिन हमे आने वाले पूरे वर्ष के लिए कुछ संकल्प धारण करने हैं।  भारत को स्वच्छ रखना है, नदियों की धाराओं को अविरल निर्मल रखने का प्रयत्न करने हैं। गंगा – यमुना व् अन्य नदियां अपने मूल स्वरुप में पहुंचे इसके प्रयत्न करने चाहिए। देश में सकारात्मक परिवर्तन हो इसके लिए प्रत्येक व्यक्ति को अपनी भूमिका निभानी है।  आज से नवमीं तक हम सब माँ भगवती की आराधना में तल्लीन रहकर समस्त विश्व की सुख-समृद्धि, शान्ति और आरोग्य के लिए प्रार्थना करें।  सभी देशवासियों को वर्ष प्रतिपदा की शुभकामनाएँ।

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