हम चाहे जितने विद्वान हो जाएं, सदा अपने बड़ों का सम्मान करना चाहिए। हमारी विद्वता निश्चित ही उनके अनुभवों के समक्ष कम है, यह मन से मान लेना हमारे चरित्र को विनम्रता की ऊँचाईयों पर ले जाता है। Leave a Comment / Uncategorized / By didimaa Facebook Twitter Youtube